सनातनी हिन्दू नववर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् २०७९ ( तदनुसार 2अप्रैल 2022)" की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व
1. इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।
2. सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।
3. प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है।
4. शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन यही है।
5. सिख परंपरा के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी के जन्म दिवस का यही दिन है।
6 सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार संत झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।
7 विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना।
8 युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।
हिन्दू नववर्ष का प्राकृतिक महत्व :
1. वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।
2. फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।
3. नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।
हिन्दू नववर्ष कैसे मनाएँ :
1. हम परस्पर एक दुसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ दें।
2. आपने परिचित मित्रों, रिश्तेदारों को नववर्ष के शुभ संदेश भेजें।
3 . इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर भगवा पताका फेहराएँ।
4. आपने घरों के द्वार, आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएँ।
5.घरों एवं धार्मिक स्थलों की सफाई कर रंगोली तथा फूलों से सजाएँ।
6. इस अवसर पर होने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लें अथवा कार्यक्रमों का आयोजन करें।
आप सभी से विनम्र निवेदन है कि हिन्दू नववर्ष" हर्षोल्लास के साथ मनाने के लिए "समाज को अवश्य प्रेरित" करें।
धन्यवाद
🚩जय श्री राम🚩
श्री हनुमान जी महाराज मन्दिर नरसडा़ सुलतानपुर एक दिव्य धार्मिक स्थल जहाँ दर्शन मात्र से सारी मनोकानाएं पूर्ण होती हैं।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व
1. इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।
2. सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।
3. प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है।
4. शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन यही है।
5. सिख परंपरा के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी के जन्म दिवस का यही दिन है।
6 सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार संत झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।
7 विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना।
8 युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।
हिन्दू नववर्ष का प्राकृतिक महत्व :
1. वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।
2. फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।
3. नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।
हिन्दू नववर्ष कैसे मनाएँ :
1. हम परस्पर एक दुसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ दें।
2. आपने परिचित मित्रों, रिश्तेदारों को नववर्ष के शुभ संदेश भेजें।
3 . इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर भगवा पताका फेहराएँ।
4. आपने घरों के द्वार, आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएँ।
5.घरों एवं धार्मिक स्थलों की सफाई कर रंगोली तथा फूलों से सजाएँ।
6. इस अवसर पर होने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लें अथवा कार्यक्रमों का आयोजन करें।
आप सभी से विनम्र निवेदन है कि हिन्दू नववर्ष" हर्षोल्लास के साथ मनाने के लिए "समाज को अवश्य प्रेरित" करें।
धन्यवाद
🚩जय श्री राम🚩
श्री हनुमान जी महाराज मन्दिर नरसडा़ सुलतानपुर एक दिव्य धार्मिक स्थल जहाँ दर्शन मात्र से सारी मनोकानाएं पूर्ण होती हैं।
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