पीएम मोदी ने भारत और 5 मध्य एशियाई देशों के पहले शिखर सम्मेलन को किया संबोधित
भारत और मध्य एशिया के पांच देशों (कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान) के बीच पहला शिखर सम्मेलन आज वर्चुअल रूप से सम्पन्न हुआ। इस सम्मेलन में जोकि वर्चुअल मोड़ में हुआ में पीएम नरेंद्र मोदी के अलावे कजाखस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट तोकायेव, उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव, ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन, तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्दीमुहामदो और किर्गिज गणराज्य के राष्ट्रपति सादिर जापारोव ने शिरकत की।
भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की पहली बैठक में पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज के शिखर सम्मेलन के तीन लक्ष्य हैं। सबसे पहले यह स्पष्ट करना है कि क्षेत्रीय सुरक्षा और समृद्धि के लिए भारत और मध्य एशिया के बीच आपसी सहयोग आवश्यक है। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मध्य एशिया एक एकीकृत और स्थिर पड़ोस के भारत के दृष्टिकोण का केंद्र है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि आज की बैठक का दूसरा लक्ष्य हमारे सहयोग को एक प्रभावी ढांचा देना है, जो स्थापना का मार्ग प्रशस्त करेगा।
सभी हितधारकों के बीच नियमित बातचीत के लिए एक मंच का: भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की पहली बैठक में प्रधान मंत्री मोदी तीसरा लक्ष्य हमारे सहयोग के लिए एक महत्वाकांक्षी रोडमैप तैयार करना है, जो हमें एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने में सक्षम करेगा। भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की पहली बैठक में प्रधान मंत्री मोदी ने आगे कहा कि क्षेत्रीय सुरक्षा के संबंध में हम सभी समान चिंताओं और लक्ष्यों को साझा करते हैं। हम सभी अफगानिस्तान के घटनाक्रम से चिंतित हैं। इस संदर्भ में भी, क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए हमारे बीच आपसी सहयोग अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि भारत के सभी मध्य एशियाई देशों के साथ गहरे संबंध हैं। कजाकिस्तान भारत की ऊर्जा सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भागीदार बन गया है। मैं कजाकिस्तान में हाल ही में हुई मौतों पर संवेदना व्यक्त करता हूं ‘विस्तृत पड़ोसी’ के नियत के तहत शुरू किए गए भारत और मध्य एशिया देशों के पहले सम्मेलन के व्यापक उद्देश्य हैं।
इसको इससे भी समझा जा सकता है कि इससे पहले इन्हीं पांच देशों (कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान) के नेताओं को इस साल 2022 के भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि बनने का निमंत्रण दिया गया था, लेकिन ओमिक्रॉन और देश में आई कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर की वजह से समारोह के लिए किसी को भी मुख्य अतिथि के रूप में नहीं बुलाया गया था।
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