भारत का दो टूक जबाब अमेरिका को: रूसी हथियार तो हम खरीदेंगे ही, क्योंकि हमारे पास और विकल्प ही नहीं....🌿
इस मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि, भारत साफ कहा है कि, रूसी हथियारों के विकल्प बहुत महंगे थे। भारत ने अमेरिकी दूत से कहा कि, उशके लिए रूस के अलावा कहीं और से हथियार खरीदना बहुत महंगा सौदा है। इसके अलावा, रूसी कंपनियां भारतीय कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यम स्थापित करने के लिए अधिक उच्छुक हैं, जिसमें कुछ टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी शामिल हैं, जबकि अमेरिका रक्षा कंपनियां ऐसा करने के लिए अनिच्छुक हैं।
भारत के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को अपनी साप्ताहिक ब्रीफिंग में कहा कि अमेरिका और भारत के विदेश और रक्षा मंत्री पहले टू-प्लस-टू संवाद के लिए सोमवार और मंगलवार को वाशिंगटन में मिलेंगे। लोगों ने कहा कि रक्षा सहयोग के अलावा, व्लादिमीर पुतिन के यूक्रेन पर हमले और उसके बाद लग रहे प्रतिबंधों पर भी इन बैठकों में चर्चा की जाएगी।
दोनों देशों के बीच 11 अप्रैल को 'टू प्लस टू' वार्ता होगी। यह दोनों देशों के बीच चौथे मंत्रिस्तरीय बातचीत। इस बातचीत में रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन तथा विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर की मेजबानी करेंगे। इस बेहद अहम बैठक को लेकर भारत अमेरिका के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाने पर बातचीत को लेकर आशावादी है। इस मामले से परिचित लोगों ने कहा कि ये वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब यूक्रेन में रूसी युद्ध की आलोचना करने की अनिच्छा पर नई दिल्ली को फटकार लगाने में बाइडेन प्रशासन अधिक मुखर हो गया है। मीडिया में आ रही खबरों की माने तो, इससे जुड़े लोगों ने अपना नाम न बताते हुए कहा है कि, रूस से हथियारों और रियायती तेल की खरीद के परिणामों के बारे में भारत को चेतावनी देने वाले वाशिंगटन के हालिया सार्वजनिक बयान दोनों पक्षों के बीच निजी चर्चा के विपरीत हैं
टिप्पणियाँ