a. प्रतिकूल चयन या बीमा कंपनी के विरुद्ध चयन को रोकना
b. जोखिमों का वर्गीकरण और जोखिमों के बीच समानता सुनिश्चित करना
2. जोखिमों का चयन शब्द जीवन बीमा के हर प्रस्ताव का मूल्यांकन उसमें मौजूद जोखिम के स्तर के संदर्भ में करने और फिर यह करने की प्रक्रिया को दर्शाता है कि बीमा प्रदान किया जाए या नहीं और यदि हां तो किन शर्तों पर।
3. प्रतिकूल-चयन ऐसे लोगों की प्रवृत्ति है जो यह संदेह करते या जानते हैं कि उनके नुकसान का सामना करने की संभावना अधिक है, बेसब्री से बीमा की मांग करना और इस प्रक्रिया में लाभ प्राप्त करना।
4. जोखिम वर्गीकरण: समानता को आगे बढ़ाने के लिए बीमालेखक जोखिम वर्गीकरण नामक एक प्रक्रिया में संलग्न होते हैं यानी अलग-अलग जीवनों को वर्गीकृत किया जाता है और उनमें मौजूद जोखिमों के स्तरों के आधार पर उनको विभिन्न जोखिम श्रेणियों में बांटा जाता है। ऐसी चार जोखिम श्रेणियां होती हैं।
a. मानक जीवन: इनमें ऐसे जीवन शामिल हैं जिनकी अनुमानित मृत्यु-दर, मृत्यु-दर तालिका में दर्शाए गए मानक जीवनों से मेल खाती है।
b. वरीयताप्राप्त जोखिम: ये ऐसे जोखिम हैं जिनकी अनुमानित मृत्यु-दर मानक जीवनों की तुलना में काफी कम होती है और इसलिए इनसे कम प्रीमियम लिया जा सकता है।
c. अवमानक जीवन: ये ऐसे जीवन होते हैं जिनकी अनुमानित मृत्यु-दर औसत या मानक जीवनों की तुलना में अधिक है, लेकिन फिर भी बीमायोग्य माने जाते हैं।
5. अस्वीकृत जीवन: ये ऐसे जीवन हैं जिनकी दुर्बलता और अनुमानित अतिरिक्त मृत्यु-दर इतनी अधिक होती है कि इनको एक वहन करने योग्य लागत पर बीमा कवरेज प्रदान नहीं किया जा सकता है।
6. चयन प्रक्रिया: यह कहा जा सकता है कि बीमालेखन या चयन प्रक्रिया दो स्तरों पर पूरी होती है:
a. फील्ड स्तर पर
b. बीमालेखन विभाग स्तर पर
7. गैर-चिकित्सकीय बीमालेखन: बहुसंख्यक में जीवन बीमा प्रस्तावों को आम तौर पर बीमार्थी की बीमा योग्यता की जांच करने के लिए चिकित्सा परीक्षा कराए बिना ही बीमा के लिए चयनित किया जा सकता है। ऐसे मामलों को गैर-चिकित्सा प्रस्तावों के रूप में जाना जाता है।
8. बीमालेखन की विधियां:
a. निर्णय विधि
b. संख्यात्मक विधि
9. गैर-चिकित्सकीय बीमालेखन की शर्तें: गैर-चिकित्सकीय बीमालेखन कुछ शर्तों का पालन किए जाने की मांग करता है।
a. सबसे पहले महिलाओं की केवल कुछ श्रेणियां जैसे कामकाजी महिलाएं इसके लिए पात्र हो सकती हैं ।
b. बीमा राशि पर ऊपरी सीमा लगाई जा सकती है।उदाहरण के लिए, पांच लाख से अधिक की बीमा राशि के किसी भी केस को चिकित्सा जांच के अधीन किया जा सकता है।
c. प्रवेश हेतु आयु सीमा लगाई जा सकती है - उदाहरण के लिए, 40 या 45 वर्ष से अधिक की उम्र वाले किसी भी व्यक्ति को अनिवार्य रूप से एक चिकित्सा परीक्षण करवाना चाहिए।
d. बीमा की कुछ योजनाओं के संबंध में प्रतिबंध लगाए जाते हैं - उदाहरण के लिए, मीयादी बीमा की अनुमति गैर-चिकित्सा श्रेणी में नहीं दी जा सकती है।
e. बीमा की अधिकतम अवधि बीस वर्ष/60 वर्ष की उम्र तक सीमित की जा सकती है।
f. जीवन की श्रेणीः गैर-चिकित्सा बीमा की अनुमति कुछ विशिष्ट श्रेणी के व्यक्तियों को भी दी जा सकती है ।
10. चिकित्सा बीमालेखन: बीमालेखक के निर्णय को प्रभावित करने वाले चिकित्सा कारक
a. पारिवारिक इतिहास
b. व्यक्तिगत इतिहास
c. व्यक्तिगत लक्षण
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