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मंहगाई : मार न डाले।।

महंगे ईंधन से और भड़केगी   मंहगाई ,  ऐसे पड़ता है आपकी जेब पर असर मंहगाई मंहगाई अप्रैल में ग्रामीण महंगाई आठ फीसदी के पार पहुंची, ऊंचे परिवहन खर्च से बढ़ रही लाग, अप्रैल में शहरी महंगाई  7.09 फीसदी रही और  ग्रामीण महंगाई 8.38 फीसदी पहुंच गई। पेट्रोलियम पदार्थ 10 फीसदी महंगा होने मंहगाई देश में महंगाई एक बार फिर बढ़ गई है। अप्रैल में खुदरा महंगाई दर आठ फीसदी के करीब पहुंच गई है जो पिछले साल के इसी माह से करीब दोगुना है। पिछले साल अप्रैल में खुदरा महंगाई 4.23 फीसदी पर थी। सरकार की ओर से गुरुवार को जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक महंगाई के आंकड़ों में शहरों के मुकाबले ग्रामीण महंगाई में अच्छा खासा इजाफा देखने को मिला है। अप्रैल में शहरी महंगाई जहां 7.09 फीसदी है तो ग्रामीण महंगाई 8.38 फीसदी पर पहुंच गई है। मंहगाई अप्रैल में महंगाई के आकंड़ों में आई बढ़त में बड़ा योगदान खाने पीने की चीजों का रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक यूक्रेन संकट और समय से पहले तेज गर्मी शुरू हो की वजह से चीजें ज्यादा महंगी हुई है। आर्थिक विशेषज्...

Pakistan Government: भारत के सामने पाकिस्तान सरकार ने टेके घुटने! आग बबूला हुए पाकिस्तानी

Pakistan Government: भारत के सामने पाकिस्तान सरकार ने टेके घुटने! आग बबूला हुए पाकिस्तानी Pakistan PM Shehbaz Sharif: शहबाज सरकार ने नई दिल्ली में पाकिस्तान हाई कमिशन (Pakistan High Commission) के लिए नए ट्रेड और इन्वेस्टमेंट मिनिस्टर के अपॉइंटमेंट (Appointment) को अप्रूवल दे दिया है. पाकिस्तान की सरकार एक मंजूरी देकर इतनी बुरी तरह फंस गई है कि सरकार को अपने फैसले के लिए सफाई देनी पड़ रही है. पाकिस्तान के पूर्व हाई कमिश्नर अब्दुल बासित (Abdul Basit) ने पाकिस्तान के इस फैसले की निंदा करते हुए कहा है कि जब भारत के साथ कोई व्यापारिक संबंध नहीं हैं तो फिर ट्रेड मंत्री को नियुक्त करने की क्या जरूरत है. पाकिस्तान का फैसला था कि जब तक भारत कश्मीर (Kashmir) के फैसले को वापस नहीं लेता तब तक भारत के साथ कोई व्यापार नहीं किया जाएगा. ऐसे में शहबाज सरकार (Shehbaz Sarkar) का फैसला भारत की तरफ उनके झुकाव को दिखा रहा है.  सरकार को देनी पड़ी सफाई शहबाज सरकार ने नए ट्रेड और इन्वेस्टमेंट मंत्री के तौर पर कमर जमान (Qamar Zaman) की नियुक्ति के फैसले पर कहा कि ये एक रूटीन प्रोसीजर है. इस फैस...

अमर बलिदानी: अवध बिहारी

* 11मई/बलिदान-दिवस * अमर बलिदानी : अवधबिहारी मातृभूमि की सेवा के लिए व्यक्ति की शिक्षा, आर्थिक स्थिति या अवस्था कोई अर्थ नहीं रखती। दिल्लीवासी क्रांतिवीर अवधबिहारी ने केवल 25 वर्ष की अल्पायु में ही अपना शीश मां भारती के चरणों में समर्पित कर दिया।  अवधबिहारी का जन्म चांदनी चैक, दिल्ली के मोहल्ले कच्चा कटरा में 14 नवम्बर, 1889 को हुआ था। इनके पिता श्री गोविन्दलाल श्रीवास्तव जल्दी ही स्वर्ग सिधार गये। अब परिवार में अवधबिहारी, उनकी मां तथा एक बहिन रह गयी। निर्धनता के कारण प्रायः इन्हें भरपेट रोटी भी नहीं मिल पाती थी; पर अवधबिहारी बहुत मेधावी थे। गणित में सदा उनके सौ प्रतिशत नंबर आते थे। उन्होंने सब परीक्षाएं प्रथम श्रेणी और कक्षा में प्रथम आकर उत्तीर्ण कीं।   छात्रवृत्ति और ट्यूशन के बल पर अवधबिहारी ने सेंट स्टीफेंस काॅलिज से 1908 में प्रथम श्रेणी में स्वर्ण पदक लेकर बी.ए किया। उनकी रुचि पढ़ाने में थी, अतः वे लाहौर गये और सेंट्रल टेªनिंग काॅलिज से बी.टी की परीक्षा उत्तीर्ण की। टेªनिंग काॅलिज के एक अंग्रेज अध्यापक ने इनकी प्रतिभा और कार्यक्षमता देखकर कहा था कि ऐसे ...

आज ही तुम्हारा कल है।

आप जीवन के किस पाठ से जीते हैं? 1. पहले दोस्ती फिर रिश्ता शुरू करें। 2. लोगों के साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा आप चाहते हैं कि आपके साथ व्यवहार किया जाए। 3. जीवन में प्रतिक्रिया देने और प्रतिक्रिया न करने में एक विशेष शक्ति होती है। 4. कोई भी जो किसी रिश्ते की शुरुआत में मजबूत यौन संबंध में आता है, वह संबंध सामग्री नहीं है। 5. स्वास्थ्य जितना मैंने सोचा था उससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण है और इसे 46 पर ट्रैक पर लाने की कोशिश करना 26 वर्ष की तुलना में अधिक कठिन है। हाहा… 6. जब कोई आपको दिखाता है कि वे पहली बार कौन हैं तो उन पर विश्वास करें। आपको दूसरी और तीसरी बार देखने के लिए उनके द्वारा प्रतीक्षा न करें। 7. एक व्यक्ति जो आपको धोखा देता है और झूठ बोलता है वह आपको एक व्यक्ति के रूप में महत्व नहीं देता है और निश्चित रूप से कभी भी आपका सम्मान नहीं करता है। 8. मैं अपना सबसे अच्छा दोस्त हूं। और कभी-कभी मेरे पास वह सब होगा जो मेरे पास है। मुझे अपनी खुद की कंपनी से प्यार करने की ज़रूरत है और अगर मैं नहीं करता, तो मुझे यह पता लगाने की ज़रूरत है कि क्यों। 9. करियर बदलने या अपनी पसंद का कुछ करने के ल...

ऐसा कौन सा सत्य है, जिसे कोई सत्य नहीं मानता है या नहीं मानना चाहता है?

ऐसा कौन सा सत्य है, जिसे कोई सत्य नहीं मानता है या नहीं मानना चाहता है? सबसे पहले जवाब दिया गया: ऐसा कौन सा सत्य है जिसे कोई सत्य नहीं मानते है या नहीं मानना चाहते है? 1. सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी यह है कि हम अपना पूरा जीवन खुद से दूर भागते हुए बिताते हैं और जिनसे हम सबसे ज्यादा प्यार करते हैं। 2. कोविड-19 अभी मानवता के लिए वास्तविक खतरा नहीं है। असली खतरा यह है कि परिवार कुछ महीनों से अधिक समय तक एक-दूसरे का सामना करने के लिए मजबूर होने के कारण टूट रहे हैं, जबकि दोस्तों और सहकर्मियों को दूर रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है। 3. जब आप किसी मुश्किल दौर से गुजर रहे होते हैं तो जो लोग आपको अपनी पीठ दिखाते हैं, वे आपके लिए समय बिताने के लायक नहीं होते हैं जब चीजें आपके लिए बदल जाती हैं। 4. जब जीवन आप पर कठोर हो जाए, तो उन लोगों पर कठोर होने की कोशिश न करें जिन्होंने कभी आपके साथ अन्याय नहीं किया। दया करो और याद रखो कि उन्हें भी, एक अलग तरीके से मदद की ज़रूरत हो सकती है। 5. किसी समस्या से बाहर निकलने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप इसके माध्यम से ठीक से चलें, क्योंकि यही एकमात्र तरीका है जिस...

Be An Eagle

Be An Eagle The eagle never fights the snake on the ground. After snatching it, it lifts it up into the sky and changes the battleground, and then releases it from the sky to fall hard on the ground. In the air, the snake has no stamina, is useless, weak, and vulnerable, and has no power, and no balance, unlike on the ground where it is powerful, wise, subtle, and deadly. The eagle’s powerful eye vision, raw speed, and agility, are its greatest advantages. Speed of attack is even more important. It doesn't matter how fast or poisonous the snake is. Aiming at it from several miles up in the sky, the eagle makes no mistakes. One mistake could mean instant death for the eagle. Taking the snake by complete surprise, using its razor-sharp talons, and powerful legs, the eagle strikes the snake very fast, at its most vulnerable part, mostly around the neck and the body. It's an ambush. The snake tries to writhe around and struggle, but its efforts are futile. As the eagle flies high i...

यूक्रेन पर मतभेद के बावजूद :अहम मुलाकात

भारत ने इस मसले पर अमेरिका की इच्छा के अनुसार कदम नहीं उठाया है। इस दौरान पीएम मोदी ने बाइडन से कहा कि यह वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब यूक्रेन में हालात चिंता का विषय बने हुए हैं। कुछ सप्ताह पहले लगभग 20 हजार भारतीय यूक्रेन में फंसे हुए थे, इनमें से अधिकांश युवा छात्र थे। पीएम ने कहा कि हमने यूक्रेन और उसके पड़ोसी देशों को दवाएं और अन्य राहत सामग्रियां भेजी हैं। यूक्रेन की मांग पर हम जल्द ही दवाओं की एक और खेप पहुंचाने की तैयारी कर रहे हैं। बाइडन ने पीएम मोदी से कहा कि मैं आज आपसे वर्चुअल मुलाकात करके प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूं। हम कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के दौरान वैश्विक चुनौतियों को लेकर समान चिंताएं प्रकट कर चुके हैं। यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैंने दोनों देशों के राष्ट्रपतियों से कई बार फोन पर बात की है। मैंने न केवल दोनों से शांति के लिए अपील की है बल्कि पुतिन को यह सुझाव भी दिया है कि वह यूक्रेनी राष्ट्रपति के साथ सीधे वार्ता करें। हमारी संसद में भी यूक्रेन को लेकर गहन चर्चा हुई है। भारत और अमेरिका के बीच रक्षा भ...