द्वापर युग से ही आबादी बढ़ती थी उसी नियम से जिस नियम से आज भी बढ़ती है फिर भी जनसँख्या समस्या बनकर तब कभी नहीं आयी. आज जनसँख्या जटिल समस्या बन गयी है. इसकी वृद्धि से अनेक समस्या उत्पन्नं होती है. इस समस्या का दूसरा अंग बेकारी की समस्या है , बालविवाह , पुत्र की चाह, अशिक्षा , जानकारी का आभाव, सामाजिक एवं धार्मिक मान्यताएं इत्यादि. इन सभी कारणों को समूल नष्ट करना होगा. सम्भवतः इन उपायों से जनसँख्या वृद्धि पर रोक लग जाये. गरीबी बेरोजगारी, पर्यावरण समस्या , भ्रष्टाचार, आदि अनेक समस्याओं की जड़ यही है. इसके कारण नागरिकों का नैतिक पतन होता है. फलतः राष्ट्रीय चरित्र का पतन स्वाभाविक है. अर्थ व्यवस्था पर भी इसका प्रभाव पड़ता है. सरकार द्वारा अनेक प्रयत्न किये गए हैं, जनसंचार द्वारा परिवारनियोजन के सम्बन्ध में व्यापक प्रचार कार्य किया गया है और निरन्तर किया जा रहा है. जनसंख्या राष्ट्र की शक्ति भी कही जा सकती है ।सरकार जन बल से बड़े बड़े कार्यो को कम समय और कम खर्चे में आसानी से करवा सकती है। देश रक्षा तथा शान्ति व्यवस्था के लिये देश के पास उन्नत सेना तैयार हो सकती है। जनसंख्या अधिक होने से लाभ भ...
भारतीय अर्थव्यवथा, बैंकिंग,सरकारी सहायता,सरकार वारा चलाई जा रही योजनाओं की अद्यतन जानकारी, जन हितकारी नीतियों की जानकारी, आधुनिक खेती, रामीण विकास व कृषि से संबंधित जानकारी लाग के माध्यम से उपलव्ध करवाना