🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️ दोहे- शीर्षक- *दिसंबर की आखिरी रात* सन बाइस की आखिरी, शेष आज है रात। सन तेइस के भोर में, आये नवल प्रभात ।।1 साल माह दिन पल पहर , देते हैं संज्ञान। जो भी आया भूमि पर, हो उसका अवसान।।2 माह दिसंबर शीत में, गलकर भी आबाद। जाते ,आये जनवरी, सुंदर आशीर्वाद।।3 बिन अलाव कटती नहीं , पूसी ठंडी रात। कथरी सब असमर्थता, व्यक्त करें बिन बात।।4 माह दिसंबर जा रहा, देकर शीत प्रचंड। कांप रहा हर जीव है, भू पर पाकर पिंड।।5 अवरोही पा पूर्णता , हो नवीन आरोह। इसी मंत्र से ऋतु फलै, बढ़े वासना मोह।।6 कैसे खुशी मना सकें, दीन दरिद्र गरीब। रात मड़ैया में कटे, दिन भोजन तरकीब।।7 माह दिसंबर दे रहा, सबको यह संदेश। मानवता अपनाइए, हरिये जन के क्लेश।।8 सारी आमद खेत में, खाद बीज जल घालि। किसी तरह जनता रही, निज बच्चों को पालि।।9 पूस नारकी माह में , सूझि परइ नहिं पंथ। शीत बिकट हड्डी गलें, मुश्किल सांस सुपंथ।।10 ऐसे में नव वर्ष का, क्या आदर सत्कार। दो मुट्ठी जाड़ा बिकट, बहु अभाव परिवार।।11 शीत लहर कुहरा बिकट, हांड़ कँपाऊ सर्द। नए ईसाई वर्ष...
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